Saturday 6 August 2016

मैं मधुशाला

मैं मधुशाला,
तू मेरे रस का प्यासा प्याला...   
तेरी तृष्णा, बुझाये मेरा मेह्खाना। 

तू जोगी, ठहरा बंजारा  
तेरे गीत सूफ़ियाना 
तू डूबा किसी के इश्क़ में 
मैं रम्या तेरे इश्क़ में...

तेरा सजदा, मेरा कलमा 
तेरी दुआ, मेरी इबादत
तेरी शान, मेरी अज़ान
तू प्यासा, मैं रस का प्याला...

है जन्नत तेरी मौजूदगी 
है दोज़ख तेरी ग़ैरमौजुदगी 
ना कर मुझपे ये सितम 
है रुआंसा मेरा मेहखाना 
तेरी प्यासी मेरी मधुशाला...

रुसवा हुई है तेरी मोहब्बत 
मत तड़पा मुझे ऐ सनम 
चल अब छलका भी दे जाम 
देख आया है तेरे मेहबूब का पैग़ाम...

ख़ुदा की नहीं है मेहर तुझपे
कि आज फिर तू तनहा रोया है
मेरा महखाना भी तेरे साथ सोया है
तू प्यासा, मैं तेरे रस का प्याला।  

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