Saturday 9 May 2015

है अधूरी सी चाहत तुझको पाने की...!!!

है तेरी तस्वीर मेरा आईना अब। 
जब भी निहारु खुद को उसमे
इतराती, इठलाती, बलखाती मैं।।

देख मुझे चमक उठते तेरे मृग नयन
यह सोच कर उद्वेलित हो उठता मेरा रोम-रोम।।

तेरी इन आँखों में बस्ता है मेरे लिए सागर से गहरा प्यार।
करते हैं बातें रातों में मुझसे तेरे ये दो नयन।।

गर उतर पाऊँ कभी इनकी गहराईयों में।
तेरे प्यार की कश्ती में बसा लूंगी अपना हँसता-खेलता घरोंदा।।

क्या जानते हो तुम?

गुपचुप मैं करती हूँ इनसे बातें
तेरी गैरमौजूदगी में
बोलती हैं मुझसे ये।।

जैसे तुम यहीं कहीं हो मेरे आस-पास
यह सोचकर ही खिल जाती है मेरे चेहरे की मुस्कान।।

यक़ीनन हैं दूरियां हमारे दरमियान।
मगर ये जो तेरे नैनों का आईना है,
मुझको करवाता है बस यही एहसास
तू तो बसा है मेरी साँसों में बन के मीठी सी एक याद।। 

4 comments:

  1. यक़ीनन हैं दूरियां हमारे दरमियान।
    मगर ये जो तेरे नैनों का आईना है,
    मुझको करवाता है बस यही एहसास… अति सुन्दर

    ReplyDelete
  2. जैसे तुम यहीं कहीं हो मेरे आस-पास
    यह सोचकर ही खिल जाती है मेरे चेहरे की मुस्कान।।
    👍

    लगा किसी का दिल पढ़ रहे ।

    ReplyDelete